दिए गए मंत्र केवल जानकारी के लिए हैं। इसके प्रयोग से होने वाले लाभ-हानि के लिए साधक स्वयं जिम्मेदार होगा, इसलिए गुरु के मार्गदर्शन में ही साधना करें।
ॐ ह्रीं मम प्राण देहि रोम प्रतिरोम चैतन्यै जाग्रय ह्रीं ॐ नमः